Gold Price Down: भारतीय बाजार में सोने और चांदी के दाम में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। पिछले दो दिनों की तेजी के बाद मंगलवार, 17 सितंबर को इनके दामों में गिरावट आई। आइए इस स्थिति का विस्तृत विश्लेषण करें और समझें कि यह क्यों हो रहा है और इसका क्या असर हो सकता है।
सोने और चांदी के वायदा बाजार में मंगलवार को गिरावट देखी गई। सोने का भाव 109 रुपये घटकर 73,387 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया, जबकि सोमवार को यह 73,496 रुपये पर बंद हुआ था। वहीं चांदी के दाम में 160 रुपये की गिरावट आई और यह 89,449 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। पिछले दिन यह 89,609 रुपये पर बंद हुई थी।
सर्राफा बाजार की स्थिति:
सर्राफा बाजार में भी कीमतों में मामूली गिरावट देखी गई। सोना 74,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास बिक रहा था, जबकि चांदी 87,400 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब थी। चांदी का सिक्का 950 रुपये प्रति नग के भाव पर उपलब्ध था।
अंतरराष्ट्रीय बाजार का प्रभाव:
भारतीय बाजार पर अंतरराष्ट्रीय बाजार का सीधा असर पड़ता है। वैश्विक स्तर पर, सोने ने हाल ही में 2,590 डॉलर प्रति औंस का नया रिकॉर्ड स्तर छुआ था। चांदी भी दो महीने की ऊंचाई पर 31 डॉलर से ऊपर चल रही थी। लेकिन मंगलवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले निवेशकों में थोड़ी सतर्कता देखी गई, जिसके कारण कीमतों में मामूली गिरावट आई।
वर्तमान में, अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड $2,581.68 प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था, जबकि अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स $2,608.60 के आसपास था।
फेडरल रिजर्व की बैठक का प्रभाव:
वर्तमान में, सबकी नजरें अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक पर टिकी हुई हैं। लगभग 66% विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैठक में 50 बेसिस पॉइंट की दर कटौती की जा सकती है। यह आंकड़ा शुक्रवार को 43% था, जो बताता है कि दर कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
यदि फेडरल रिजर्व दरों में कटौती करता है, तो इसका सोने और चांदी की कीमतों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। दरों में कटौती से डॉलर कमजोर हो सकता है, जिससे सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं की मांग बढ़ सकती है।
निवेशकों के लिए क्या है मायने?
- अल्पकालिक उतार-चढ़ाव: वर्तमान गिरावट अल्पकालिक प्रतीत होती है। लंबी अवधि में, सोने और चांदी की कीमतों में वृद्धि की संभावना बनी हुई है।
- सुरक्षित निवेश: अनिश्चितताओं के इस दौर में, सोना और चांदी सुरक्षित निवेश विकल्प बने हुए हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता के कारण निवेशक इन धातुओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
- त्योहारी सीजन: भारत में आने वाले त्योहारी सीजन में सोने और चांदी की मांग बढ़ने की उम्मीद है, जो कीमतों को समर्थन दे सकती है।
- वैश्विक कारक: अमेरिका-चीन व्यापार तनाव, भू-राजनीतिक अस्थिरता, और मुद्रास्फीति जैसे कारक भी कीमती धातुओं की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं।
सोने और चांदी की कीमतों में वर्तमान गिरावट अस्थायी प्रतीत होती है। फेडरल रिजर्व की बैठक के परिणाम, वैश्विक आर्थिक स्थितियां, और स्थानीय मांग जैसे कारक आने वाले दिनों में इन कीमती धातुओं की कीमतों को प्रभावित करेंगे।
निवेशकों और खरीदारों को सलाह दी जाती है कि वे इन कारकों पर नजर रखें और अपने निवेश या खरीद निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञों की राय लें। साथ ही, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सोना और चांदी लंबी अवधि में मूल्य संरक्षण के लिए जाने जाते हैं, इसलिए दैनिक उतार-चढ़ाव से घबराने की जरूरत नहीं है।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि सोने और चांदी का बाजार गतिशील है और कई कारकों से प्रभावित होता है। निवेशकों और खरीदारों को अपने लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। वर्तमान परिदृश्य में, सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन साथ ही लंबी अवधि के अवसरों को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।